गुलाब ने सुबह नहीं चाही अपनी डाली पर चिरन्तन
उसने दूसरी चीज़ चाही
गुलाब ने ज्ञान या छाया नहीं चाहे
साँप और स्वप्न की उस सीमा से
दूसरी चीज़ चाही
गुलाब ने गुलाब नहीं चाहा
आकाश में अचल
उसने दूसरी चीज़ चाही !
अंग्रेज़ी से अनुवाद : विष्णु खरे