किसमें थी इतनी शक्ति और विवेक ?
कौन छीन ले गया मेरे गले की आवाज़?
रो नहीं पाते उसके लिए
मेरे गले के स्याह ज़ख़्म ।
ओ मार्च ! सम्मानोचित है तुम्हारी प्रशंसा, तुम्हारा प्रेम,
सरल, सहज है तुम्हारी हर रचना
पर तोड़ चुकी है दम मेरे शब्दों की बुलबुल
अब शब्दकोश ही एकमात्र उद्यान है ।
बर्फ़, पहाड़ और झाड़ियाँ
चाहती है कि मैं गाती रहूँ, उन्हें ।
कोशिश करती हूँ कुछ बोलने की
पर होंठों को घेर लेता है गूंगापन ।
गूंगे मन का हर क्षण
होता है अधिक प्रेरणाप्रद
उन्हें चाहते हैं सहेज कर रखना
जब तक सम्भव हों मेरे शब्द।
घोंट डालूँगी गला, मर जाऊँगी, कहूँगी झूठ
कि अब किसी के नहीं रहेंगे मुझ पर अहसान
पर बर्फ़ से झुके पेड़ों के सौन्दर्य का तो अभी तक
हो नहीं पाया है मुझ से बखान ।
बस, कैसे भी राहत मिले
तनी हुई मेरी इन नसों को
सब कुछ रट डालूंगी मैं
जिसे गाने का आग्रह किया जाएगा मुझसे ।
इसलिए कि गूँगी थी मैं
और पसन्द थे मुझे शब्दों के नाम
और अचानक थक गई, मर गई मैं
अब तुम स्वयं गाते रहोगे मुझे ।
मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह
लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी में पढ़िए
Белла Ахмадулина
Немота
Кто же был так силен и умен?
Кто мой голос из горла увел?
Не умеет заплакать о нем
рана черная в горле моем.
Сколь достойны хвалы и любви,
март, простые деянья твои,
но мертвы моих слов соловьи,
и теперь их сады — словари.
— О, воспой! — умоляют уста
снегопада, обрыва, куста.
Я кричу, но, как пар изо рта,
округлилась у губ немота.
Вдохновенье — чрезмерный, сплошной
вдох мгновенья душою немой,
не спасет ее выдох иной,
кроме слова, что сказано мной.
Задыхаюсь, и дохну, и лгу,
что еще не останусь в долгу
пред красою деревьев в снегу,
о которой сказать не могу.
Облегчить переполненный пульс —
как угодно, нечаянно, пусть!
И во все, что воспеть тороплюсь,
воплощусь навсегда, наизусть.
А за то, что была так нема,
и любила всех слов имена,
и устала вдруг, как умерла, —
сами, сами воспойте меня.
1966 г.