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गेंद-तड़ी / कन्हैयालाल मत्त

है कसरत दमदार बड़ी,
गेंद तड़ी, भई, गेंद तड़ी !

भागो-भागो, हाथ न आओ,
जमकर लम्बी दौड़ लगाओ,
पल-भर रुके कि गेंद पड़ी
गेंद तड़ी, भई, गेंद तड़ी !

अन्दर-बाहर आओ-जाओ,
लुका-छिपी का रंग जमाओ,
दाँव-पेच की लगे झड़ी,
गेंद तड़ी, भई, गेंद तड़ी !

खुलकर करो निशानेबाज़ी,
खेल-खेल में क्या नाराज़ी,
जुड़े टूटती हुई कड़ी,
गेंद तड़ी, भई, गेंद तड़ी !