♦ रचनाकार: अज्ञात
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गोरी दियां झांजरां बुलौन्दिया गैयाँ...
गोरी दियां ,
गलियां दे विच दंड पौन्दियाँ गैयाँ...
गोरी दियां .
अथरी जवानी गल्लां पयी दसदी ,
माह़ी गुस्से हो गया न गल वस दी ,
राह जांदे राहियाँ नू सुनौन्दिया गैयाँ .
गोरी दियां ............................................. ...!
काले जे दुपट्टे ने की पई नीर नी ,
घुण्ड विच नैन ओहदे लए घेर ने ,
मित्रां दा दिल तड़पौन्दिया गैयाँ .
गोरी दियन ...................................!
सान्बे जाण नखरे न अंग अंग दे ,
वीणी उठे नाच्दे बिलोरी रंद गे ,
अशिका दे लहू च नहौन्दिया गैयाँ .
गोरी दियां .........................................!
सांब के तू रख लै निनाणे गोरिये,
रूप दा सिंगार जालीदार डोरिये,
नूरपुरी कोल शरामौन्दियाँ गैयाँ .
गोरी दियां झांजरां...........................!
गलियां दे विच दंड पौन्दिया गैयाँ .