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गोल चपाती / प्रकाश मनु

गोल चपाती, गोल चपाती,
तू सबसे अनमोल, चपाती!

सारी दुनिया गोल-गोल है
सारी दुनिया गोलमोल है,
गोलमोल यह दुनिया सारी
लगा सकी कब तेरा मोल है।

हँस-हँसकर तू ही तो सबको,
पढ़ा रही भूगोल, चपाती!

पहले चकले पर बेला फिर
डाला तुझको गरम तवे पर,
मगर तवे पर भी तू नाची
देख रही है हँसकर चाची।

अरे-अरे, तू फूली कितनी,
लगती जैसे ढोल, चपाती!

खाकर भूख मिटाते सारे
बेटे धरती के ये प्यारे,
तू थाली में उछली ऐसे
उछले चंदा, सूरज, तारे।

लीला कैसी अजब-गजब है,
बता जरा, मुँह खोल चपाती!