मैं एक गौरवशील व्यक्ति हूँ
तथा मेरी पत्नी भी
मेरे पिता गौरवशील थे
और उसी तरह मेरी माँ भी
मेरे दादा गौरवशील थे
और मेरी दादी भी
मेरे परदादा गौरवशील थे
और मेरी परदादी भी
मेरे परदादा के पिता के पिता के पिता
वे और उनकी पत्नी गौरवशील थे
ऐसा क्यों है
मेरी सारी पीढ़ियाँ
जिनका एकमात्र ध्येय रहा है
इन्द्रिय-निग्रह करना
वे सब गौरवशील हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मोहन वर्मा