गौरा तोर अंगना।
बर अजगुत देखल तोर अंगना।
एक दिस बाघ सिंह करे हुलना।
दोसर बरद छैन्ह सेहो बौना॥
हे गौरा तोर...
कार्तिक गणपति दुई चेंगना।
एक चढथि मोर एक मुसना॥
हे गौर तोर...
पैंच उधार माँगे गेलौं अंगना।
सम्पति मध्य देखल भांग घोटना॥
हे गौरा तोर...
खेती न पथारि शिव गुजर कोना।
मंगनी के आस छैन्ह बरसों दिना॥
हे गौरा तोर ।
भनहि विद्यापति सुनु उगना।
दरिद्र हरन करू धएल सरना॥