कब आओगी
मेरे आँगन
फिर से तुम
गौरैया
सुबह सवेरे
मीठी-सी धुन
एक प्रभाती
की-सी गुनगुन
कब गाओगी
मेरे आँगन
फिर से तुम
गौरैया
लेकर मिट्टी
का सोंधापन
सावन की
भीगी बदली बन
कब छाओगी
मेरे आँगन
फिर से तुम
गौरैया
बचपन के वो
बीते पलछिन
भोले चंचल
चटकीले दिन
कब लाओगी
मेरे आँगन
फिर से तुम
गौरैया
कब आओगी
मेरे आँगन
फिर से तुम
गौरैया