गौरैया गुलाल लगवाले।
दूर दूर से देख रही है
अचरज से क्या यूँ हम सब को
क्यों ना धरा पर उतरा रही तू
आज छोड़कर नीचे नभ को।
नीले पीले लाल रंगों में
अपने पंखों को रंग वाले।
आ तो बहना, देखें हम भी
चंग चोंच से बचता कैसा,
और संग उसके चीं-चीं का
राग अनूठा लगता कैसा।
नाच ठुमक कर संग हमारे
फागुन का स्वागत करवा ले।