ग्वाल संग जैबो ब्रज गायन चरेबो ऐबो,
अब कहा दाहिने ये नैन फरकत हैं।
मोतिन की माल वारि डारौं गुंजमाल पर,
कुजन की सुधि आए हियो धरकत हैं॥
गोबर को गारो 'रघुनाथ कछू याते भारो,
कहा भयो महलन मनि मरकत हैं।
मंदिर हैं मंदर ते ऊँचे मेरे द्वारिका के,
ब्रज के खरिक तऊ हिये खरकत हैं॥