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घड़ी की सुईयां/ घनश्याम चन्द्र गुप्त

घड़ी की सुईयां निर्विकार चलती हैं
न तुमसे कुछ प्रयोजन, न मुझसे
श्वासों का क्रम गिनती पूरी होने तक निर्बाध
याम पर याम, याम पर याम
महाकाल की ओर इंगित करती हैं सुईयां घड़ी की