घन घमंड गरजए चहुँ ओर
कतए नुकाएल छथि चितचोर
दादुर धुनि सुनि फाटए कान
विरहक वेदन आन कि जान
दामिनि दमसए, फटए मोन
कन्तकथाक भरोसे कोन
हरिअर बाध कि हरिअर बोन
छीलल हिय पर छीटए नोन
सुनु सुनु भामिनि तजिअ ने आश
सुपुरूख नहि तोड़थि बिश्वास
घन घमंड गरजए चहुँ ओर
कतए नुकाएल छथि चितचोर
दादुर धुनि सुनि फाटए कान
विरहक वेदन आन कि जान
दामिनि दमसए, फटए मोन
कन्तकथाक भरोसे कोन
हरिअर बाध कि हरिअर बोन
छीलल हिय पर छीटए नोन
सुनु सुनु भामिनि तजिअ ने आश
सुपुरूख नहि तोड़थि बिश्वास