घर छोड’र
चिडक़ली चाल पड़ी
आपरै नूंवैं घर बार
बण आपरै जलम रौ
घर ई नीं छांड्यौ
मां-बापूजी
बैन-भाई
सखि-सहेल्यां
अर आपरी
सगळी यादां नै समेट’र
चाल पड़ी
बा’
अेक नूंवैं घर री
काया में प्रवेश सारू।
घर छोड’र
चिडक़ली चाल पड़ी
आपरै नूंवैं घर बार
बण आपरै जलम रौ
घर ई नीं छांड्यौ
मां-बापूजी
बैन-भाई
सखि-सहेल्यां
अर आपरी
सगळी यादां नै समेट’र
चाल पड़ी
बा’
अेक नूंवैं घर री
काया में प्रवेश सारू।