घर में
संसार समाया है
दादी
बापू
माँ और भाई के साथ
कबरी गाय भी तो है।
घर से
चार सौ कोस दूर मैं
अकेला कहाँ हूँ?
मेरी यादों में बसा है
भरा-पूरा घर
दूरियों को
नकारता-सा।
घर में
संसार समाया है
दादी
बापू
माँ और भाई के साथ
कबरी गाय भी तो है।
घर से
चार सौ कोस दूर मैं
अकेला कहाँ हूँ?
मेरी यादों में बसा है
भरा-पूरा घर
दूरियों को
नकारता-सा।