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घर को सराओ सारवन्न / पँवारी
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पँवारी लोकगीत
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रचनाकार:
अज्ञात
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घर को सराओ सारवन्न
होय घर को साजरो पन्न।
एनी अस्तोरी को है वो गुन्न
राजा भया ओ माया जन्न।।