हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
घर घर लन्दन मेमां रोवैं।
गांधी बन गिया गले का हार।
सरकार खड़ी सै घुटने टेके।
थोथे उस के बाजैं हथियार।
हाहाकार मचे लन्दन में।
भैणा अब रूठ गये करतार।।
घर घर लन्दन मेमां रोवैं।
गांधी बन गिया गले का हार।
सरकार खड़ी सै घुटने टेके।
थोथे उस के बाजैं हथियार।
हाहाकार मचे लन्दन में।
भैणा अब रूठ गये करतार।।