घाव
भरे हुए होते हैं
इसी लिए
नम रितु में
हरे होते हैं
और
कहते हैं
शरीर को
अपने
होने की
अदृश्य कहानी ।
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"
घाव
भरे हुए होते हैं
इसी लिए
नम रितु में
हरे होते हैं
और
कहते हैं
शरीर को
अपने
होने की
अदृश्य कहानी ।
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"