एकान्त में
बहुत ही करीब होते हैं
मेरे तुम्हारे संबंध
और जब उठती हूँ मैं
घुंघरुओं से कहीं ज्यादा
और रात भर
थरथराते हैं
मेरे स्वपन।
एकान्त में
बहुत ही करीब होते हैं
मेरे तुम्हारे संबंध
और जब उठती हूँ मैं
घुंघरुओं से कहीं ज्यादा
और रात भर
थरथराते हैं
मेरे स्वपन।