मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
घूरि घूरि घूरि तकिऔ, बात एक सुनिऔ यौ निरमोही दुलहा
धरू किछु हिया मे विार यौ निरमोही दुलहा
जहिया सँ एलहुँ दुलहा सभकेँ लोभएलहुँ यौ निरमोही दुलहा
जोड़िकऽ एतेक प्रेम तोड़ि आइ जाइ छी यौ निरमोही दुलहा
सब के कनाय कयल लचार यौ निरमोही दुलहा
एहन पतित हिया नहि छल ककरो यौ निरमोही दुलहा
मिथिलाक यैह बेबहार यौ निरमोही दुलहा