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चंचल न हूजै नाथ / केशवदास

चंचल न हूजै नाथ, अंचल न खैंची हाथ ,
         सोवै नेक सारिकाऊ, सुकतौ सोवायो जू .
मंद करौ दीप दुति चन्द्रमुख देखियत ,
         दारिकै दुराय आऊँ द्वार तौ दिखायो जू .
मृगज मराल बाल बाहिरै बिडारि देउं,
         भायो तुम्हैं केशव सो मोहूँमन भायो जू .
छल के निवास ऐसे वचन विलास सुनि,
         सौंगुनो सुरत हू तें स्याम सुख पुओ जू .