बहुत दिनों के बाद दिखे कल चंदर 'का
अपने बैलों को
लेकर नंगे क़दमों से
चले जा रहे थे अपने में खोए-से
कितने ही निर्लिप्त भाव से
रहते हैं अब चंदर 'का
बहुत दिनों के बाद दिखे कल चंदर 'का
जब छोटा था
चंदर 'का ने
रामचरित मानस का सार बता था
जब छोटा था
चंदर 'का ने
स्वाभिमान से
जीने का ढंग बताया था
जब छोटा था
चंदर 'का ने
मुझ को गोद उठाया था
और प्यार का, आज़ादी का
मुझ में भाव जगाया था
चंदर 'का ने
पास-पड़ोस का
कभी बुरा नहीं चाहा
चंदर 'का ने
ख़ुद अभाव का ज़हर पिया
पर मुस्कराते रहे
चंदर 'का का घर है अब
नाती-पोतों से भरा-भरा
सब अपने में मग्न
और चंदर 'का का मन
रहता है कुछ फिरा-फिरा
उनका खेतों से, फसलों से
बैलों और तुलसी बाबा से
अभी तलक अनुराग हृदय में
कितना रहता है हरा-हरा
चंदर 'का हैं
कदमा का इतिहास
सत्तर साल के
सबसे हैं बुजुर्ग गाँव के
चंदर 'का हैं
कितने अब एकान्त !
एक संगीत !
एक अनुगूंज !
जो कभी-कभी ही
मुझे सुनाई
पड़ती है इस अंचल में
बहुत दिनों के बाद दिखे कल चंदर 'का
बहुत दिनों के बाद एक संगीत सुना