चंदा मामा कहो तुम्हारी
शान पुरानी कहाँ गई?
कात रही थी बैठी चरखा
बुढ़िया नानी कहाँ गई?
सूरज से रोशनी चुराकर
चाहे जितनी भी लाओ,
हमें तुम्हारी चाल पता है
अब मत हमको बहकाओ!
है उधार की चमक-दमक यह
नकली शान निराली है,
समझ गए हम चंदामामा
रूप तुम्हारा जाली है!