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चंदो / चैनसिंह शेखावत

चंदो
मेड़ी ऊपराकर
उचक’र
ताळ मांय झांक्यो
पण बैरी हा
धोळा धोरा
आय बिचाळै
चानणी-चूंदड़ी
खोस लीनी
ओढ’र पसरग्या।