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चइता के इंजोरिया / जयराम सिंह

रतिया सुहावन लागे तोरे संग गोरिया।
चइता के इंजोरिया ऽऽऽ॥

(1)
रतिया के बतिया बतावऽ है पवनवाँ,
चांदनी नै माने काहे चांद के कहनवाँ?
बदरा के संगे संग खेलै नुका चोरिया।
चैइता के इंजोरिया॥

(2)
चंदा के है चारो ओर बदरा के घेरा,
जइसे बर के कोहवर में,
लड़किन के फेरा
टूटे नहीं तोड़लो पर
नेहिया के डोरिया।
चइता के इंजोरिया॥

(3)
कते के सुलावे चंदा कते के जगावे,
चंदा के रहला पर अप्पन छतिया जुड़ावे,
बुतरुन के सुलवै चंदा गाई-गाई लोरिया।
चइता के इंजोरिया॥