हरे सागर के ठीक सामने
खिले हुए हैं
चट्टानों के फूल
याद दिलाते हैं वे
उन प्रेमों की
धीमी बारिश की तरह मेरे रक्त में बसे हैं जो
चट्टान के फूल याद दिलाते हैं
उस समय की
जब कोई बात नहीं करता था मुझसे
सिर्फ़ बातें करते थे वे फूल ही
अब लम्बे मौन के बाद
मैं उन्हें छूना चाहता हूँ
चीड़ के पेड़,
कनेर की झाड़ियों,
और वृक्षों के बीच खड़े हो !