Last modified on 29 सितम्बर 2010, at 13:57

चट्टान / लीलाधर मंडलोई


मदन महल की पहाड़ी पर
कुदरत का आश्‍चर्य

एक बड़ी सी असम्‍भव चट्टान
नीचे छोटी वाली पर टिकी हुई

मुझे याद हो आया बचपन
मां जैसे
अब गिरी कि तब