चट्टान पर बैठी चिड़िया
और पेड़ पर बैठी चिड़िया
सोचती है अलग-अलग
एक के लिए कडेपन का मतलब है धुआं
जो आग की प्रतीक्षा में है
एक सोचती है कठोरता का अर्थ
उस फल से है
जो टपकेगा, हल्के स्पर्श से
दोनों के बीच एक नदी है
जहां वे एक हो जाएंगी
लेकिन उनके पंजे तब भी महसूस करेंगे
अपनी-अपनी तरह से नदी को
एक के लिए पानी उतना सख़्त है कि
वह हर चोट पर अदृश्य हो जाता है
बिना निशान छोड़े
एक उसे अपनी आंखों पर लेती है
और वे गीली रहती है आकाश से लौटते हुए भी
एक दिन दोनों की जगहें बदल जाती हैं
चट्टान पर की चिड़िया
झूलती है टहनी पर बैठकर
उसकी आंखों में पत्थर
पत्तों के छिद्रों से आती रोशनी की नन्ही किरण है
दरअसल वह एक दरवाज़ा देखती है
और निकल जाती है उससे बाहर
दुनिया उसे स्वयं से ज़्यादा नज़दीक नज़र आती है
शिला पर बैठी चिड़िया
हैरान है, वह ख़ुद को देखती है
और उस पेड़ को जो अब रास्ते में नहीं मिलता
यह भीतर जाने का अच्छा अवसर है
वह तोडती है अदृश्य तिलस्म
और घुस जाती है अपनी दुनिया में