देखे अनदेखे अंग
जैसे कुछ चढ़े चंग
तेज़ और तीखे रंग
नित नव उठे तरंग
मुखर किन्तु निस्संग
ऊर्जित उन्मद उमंग
थिरता स्थिर, अभंग
चंचल करवाल, खंग
कट-कट गिरते अनंग
जय जय शिव, जय गंग !
देखे अनदेखे अंग
जैसे कुछ चढ़े चंग
तेज़ और तीखे रंग
नित नव उठे तरंग
मुखर किन्तु निस्संग
ऊर्जित उन्मद उमंग
थिरता स्थिर, अभंग
चंचल करवाल, खंग
कट-कट गिरते अनंग
जय जय शिव, जय गंग !