वह सोना कितना अकेला है.
इन रातों का चाँद वह चाँद नहीं
जिसे देखा आदम ने पहली बार ।
लोगों के रतजगों की
लम्बी सदियों ने भर दिया है उसे
पुरातन विलाप से ।
देखो,
वह तुम्हारा दर्पण है ।
वह सोना कितना अकेला है.
इन रातों का चाँद वह चाँद नहीं
जिसे देखा आदम ने पहली बार ।
लोगों के रतजगों की
लम्बी सदियों ने भर दिया है उसे
पुरातन विलाप से ।
देखो,
वह तुम्हारा दर्पण है ।