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चमन में ख़ुद को ख़ारों से बचाना / देवी नांगरानी

चमन में ख़ुद को ख़ारों से बचाना है बहुत मुश्किल
बिना उलझे गुलों की बू को पाना है बहुत मुश्किल

किसी भी माहरू पर दिल का आना है बहुत आसाँ
किसी के नाज़ नख़रों को उठाना है बहुत मुश्किल

न छोड़ी चोर ने चोरी, न छोड़ा सांप ने डसना
ये फ़ितरत है तो फ़ितरत को बदलना है बहुत मुश्किल

किसी को करके वो बरबाद ख़ुद आबाद हो कैसे
चुरा कर चैन औरों का तो जीना है बहुत मुश्किल

गले में झूठ का पत्थर कुछ अटका इस तरह ‘देवी’
निगलना है बहुत मुशकिल, उगलना है बहुत मुश्किल