Last modified on 26 जून 2020, at 19:00

चलन पेड़ों का / शोभना 'श्याम'

पेड़ कभी नहीं करते एकत्र
फूल, पत्ते, फल या कोपलें
पतझड़ के लिए
उन्हें विश्वास है बसंत पर
और बसंत को नाज़्ा है
उनके विश्वास पर

कितने ही अवरोध
पार कर वसंत
आ ही पहुँचता है
हर बार
पेड़ों ने कभी नहीं दिया
उलाहना देर से आने का
या कम लाने का

जितना आता है जिसके हिस्से
खिला उठता है उतना पाकर
न कोई जलन, न कुढ़न
न प्रयत्न एक दूसरे से छीनने का
काश हम सीख पाते
यह चलन पेड़ों का।