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चलेॅ स्कूल / प्रदीप प्रभात

हे रे नुनु, हे रे बाबू चलेॅ स्कूल,
फूलपेन्ट, सिलाय देबौ आरो कुरता फूल।
हाँसी-बोली जोॅ स्कूल,
तभियै खिलतैं ऐंगना फूल।
नाश्ता करिहैं मक्खन-दूध,
स्कूली मेॅ नै कुच्छू भूल।
चुन्ना, मुन्ना राही बन,
देश के सिपाही बन।
नया सबेरा एैलोॅ छै,
सूरज भी मुस्कैलोॅ छै।
चल रे नुनु, चल रे चल
सुक्खा चुड़ा, पक्का आम,
खाय ले रे नुनु।
आबी गेलै इन्टर सीटी,
चढ़ी जोॅ रे नुनु।
चल रे नुनु, चल रे चल,
देखी ले ई मनराचल।
फेनु गोड्डा-पाकुड़ चल,
जामताड़ा सेॅ राजमहल,
देवघर-दुमका होलेॅ चल।
खाय चुकुर सब ढोले चल,
राँची मेॅ सुस्तैयै जाय,
रहियै खैय्यै खूब अघाय।