♦ रचनाकार: अज्ञात
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चलो मनवा रे जहाँ जाइयो,
आरे संतन का हो द्वार
प्रेम जल नीरबाण है
आरे छुटी जायगा निवासी....
चलो मनवा...
(१) मन लोभी मन लालची,
आरे मन चंचल चोर
मन का भरोसाँ नही चले
पल-पल मे हो रोवे....
चलो मनवा...
(२) मन का भरोसाँ कछु नही,
आरे मन हो अदभुता
लई जाय ग दरियाव मे
आरे दई दे ग रे गोता...
चलो मनवा...
(३) मन हाथी को बस मे करे,
आरे मोत है रे संगात
अकल बिचारी क्या हो करे
अंकुश मारण हार...
चलो मनवा...
(४) सतगुरु से धोबी कहे,
आरे साधु सिरीजन हार
धर्म शिला पर धोय के
मन उजला हो करे...
चलो मनवा.....