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चशमाक आत्मकथा / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

आँखिक परम शृंगार छी हम
फैशनक सरकार छी हम
पूर्व मे बड़ बूढ़ व्यक्तिक
फेर मे निशिदिन पड़ल हम
ताग मे लेपटौल गुदरी
बीच मे रहलहुँ पड़ल हम
देखि कै ओझरैल अक्षर
संकलित पोथीक ऊपर
दृष्टि पड़ितहिं तन दुखी
कापै लगइ छल नित्य थरथर
किन्तु फैसनहिक दया थिक
दुख उदधिहुक पार छी हम
आवतँ संसार मे आँखिक परम शृंगार छी हम
लड़खड़ाइत फ्रेम डंटी
एक केवल कान पर छल
एक पर लेपटौल तागक
छोर नीचा मुँहक लटकल
बीच घड़ छल खीचि राखल
तुंग नानक नोंक ऊपर
डर सतत खसवाक छल
झूलैत माथक झोंक ऊपर
ई विधिक संयोग जे
बहुतोक नयनाधार छी हम
चारि आँखिक बीच मे सत्ते बनल शृंगार छी हम
के युवक फैशन जगत मे
रहत विनु हमरा मङौने
के चलत कखनहूँ हमर बिनु
आँखि पर पर्दा लगौने
के हमर सन लोक मे
कथमपि सन आधुनिक-
संसार मे सम्मान पौता
मत्त गज सननाक पर चढ़ि
कान दुहु धेनिहार छी हम
पर पुनः जन-दृष्टि मे आँखिक परम शृगार छी हम