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चाँदनी चाँद के पास आ जाती है / रंजना वर्मा

चाँदनी चाँद के पास आ जाती है
वो अँधेरों से दामन बचा जाती है

है चली जब हवा खुशबुओं से भरी
आ कली हर चमन की खिला जाती है

देखते ही तुझे एक प्यारी हँसी
लब पर मेरे तबस्सुम सजा जाती है

वस्ल की चाह दम तोड़ने है लगी
याद तेरी मुझे आ जिला जाती है

बेबसी हिज्र की अब सताने लगी
आँख दोनों मेरी डबडबा जाती है