Last modified on 8 मई 2015, at 23:59

चाँद का सफर / कन्हैयालाल मत्त

चूहे राजा चले चाँद पर,
लेकर रॉकेट एक।
मक्खन के डब्बे, बिस्कुट के,
पैकेट लिए अनेक।
बोतल भूल गए पानी की,
हुआ बड़ा अफसोस।
चाँद वहाँ से बहुत दूर था,
धरती थी दो कोस।
रॉकेट की खिड़की से फौरन
मारी एक छलाँग।
मक्खन-बिस्कुट छोड़-छाड़कर
नीचे गिरे धड़ाम।।