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चाँद की दादी / अनुभूति गुप्ता

ओ चाँद की दादी,
ओ चाँद की दादी,
क्या तुम्हें कोई
लोरी नहीं आती?

ये गुपचुप-गुपचुप
क्या तुम हो गाती?
क्यों हम बच्चों को
लोरी नहीं सुनाती?