बारहा चाँद से हमने की बातें,
कभी मुस्काए कभी रोए संग,
हमें तो आ गया...
आँसुओं को पीने का हुनर ,
चाँद के चेहरे से मगर...
आँसुओं के निशान पोछूँ कैसे?
बारहा चाँद से हमने की बातें,
कभी मुस्काए कभी रोए संग,
हमें तो आ गया...
आँसुओं को पीने का हुनर ,
चाँद के चेहरे से मगर...
आँसुओं के निशान पोछूँ कैसे?