जब चाँद उगता है
शाम की घण्टियाँ ख़ामोशी में डूब जाती है
और अभेद्य रहस्यमय रास्ते दीखने लगते हैं
जब चाँद उगता है
समुद्र ज्वार में पृथ्वी पर छाने लगता है
और हृदय बन जाता है
अनन्त प्रसार में एक छोटा-सा द्वीप
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जब चाँद उगता है
हज़ार हज़ार यकसाँ बिम्बों में
तो थैलियों में से रुपहले सिक्के
ग्लानि से रो देते हैं