कार कार हइ पहाड़ की हइ बदरिया करिया ॥1॥
लहसे ललित रतनजोत
नयन सुखित मुदित होत
हाय छिनहि में भेल इलोत
तान के कार चदरिया ॥2॥
फट रे बादर हंट पहाड़
जोति! जोति! मुंह उघार
फिर जगत में दे पसार
अप्पन सुखद इंजोरिया ॥3॥
कार कार हइ पहाड़ की हइ बदरिया करिया ॥1॥
लहसे ललित रतनजोत
नयन सुखित मुदित होत
हाय छिनहि में भेल इलोत
तान के कार चदरिया ॥2॥
फट रे बादर हंट पहाड़
जोति! जोति! मुंह उघार
फिर जगत में दे पसार
अप्पन सुखद इंजोरिया ॥3॥