चानी हेनो चकमक पोखरी के साफ जल
झुकी झुकी मुँह देखै आमी गाछी भोर सें।
एक दिशा कदमोॅ के जुगल बिरिछ रहै
जोगै लेली थाथी जेनां छली बली चोर सें।
एक दिशा ठाकुरोॅ के घोॅर निर्मल रहै
ठाकुर नहाबै नित दुखिया के लोर सें।
ताही पोखरी में आबी रूपसी स्नान करै
रूप के मिलान हुवेॅ पारेॅ नहीं और सें॥