Last modified on 25 मार्च 2021, at 23:49

चान आरो भारत / जटाधर दुबे

भारत ही छै देश जहाँ सभ्भैं
हमरा मामा कहै छै,
माय सीनी अपना बच्चा केॅ
चानोॅ के टुकड़ा कहै छै।

आशिके भी अपना महबूबा केॅ
अक्सोॅ में हमरा निरखै छै,
हमरा गोदी लै के सपना
सभ्भै बुतरू
हर शिशु के मनोॅ में पलै छै
हमरोॅ भी छेलै अभिलाषा,
कहिया से तोरा निहारै छेलियै।

पन्द्रह दिनोॅ से मनोॅ रोॅ पंछी,
आकुल होय केॅ चीत्कारै छेलै,
तोंय ऐल्हेॅ तेॅ, धीरज रोॅ बंधन
टूटी गेलै,
हम्में रोकेॅ नै सकलियै
हमरा माफ़ करी दिहोॅ भारत।