घर भर के जब सूत के उठय, मुंह ले निकलय चाय
डोकरी डोकरी लईका पिचका, सब ला गजब मिठाय ॥
सब ला गज़ब मीठाय, घर माँ जब पहुना आवय।
चूल्हा म झट चाय के डेचकी चढ़ जावय।
कह पांडे कविराय, नंदागे दूध दही सब
बनगे हावय अमरित, चाहा कलजुग केअब
घर भर के जब सूत के उठय, मुंह ले निकलय चाय
डोकरी डोकरी लईका पिचका, सब ला गजब मिठाय ॥
सब ला गज़ब मीठाय, घर माँ जब पहुना आवय।
चूल्हा म झट चाय के डेचकी चढ़ जावय।
कह पांडे कविराय, नंदागे दूध दही सब
बनगे हावय अमरित, चाहा कलजुग केअब