चार और पंक्तियाँ / प्रभाकर माचवे

जब दिल ने दिल को जान लिया
जब अपना-सा सब मान लिया
तब ग़ैर-बिराना कौन बचा
यदि बचा सिर्फ़ तो मौन बचा !



इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.