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चालीस के बाद दुनिया / राग तेलंग

आप जीवन पर नियंत्रण करना सीख लेते हैं
चालीस की उम्र के पार जाकर

आपको लगता है
चालीस के पड़ाव को पार करके कि
एक सही शख़्स की आपकी तलाश भले ही पूरी न हो सकी हो
मगर ग़लत लोगों की पहचान करने के औज़ार तो आपने तराश ही लिए हैं

चालीस की उम्र ही वह मील का पत्थर होता है
जहाँ किसी के लिए
खुद अपने आपको साबित करने के लिए
वक़्त और ऊर्जा ज़ाया नहीं करना पड़ती और
इस सफर में खाई गई ठोकरें आपके लिए नसीहतें होती हैं
जो काम आती हैं उस वक़्त
जब आप अपनी नई मंज़िल के दौरों के लिए
निकल पड़ने को होते हैं

कई ऐसे अवसरों को
आप नज़रअंदाज़ करना सीख जाते हैं
चालीस पार के बाद
जिनके बारे में आप जान चुकते हैं कि वे कुल मिलाकर फिजूल के हैं
चालीस के बाद ही आप ऊपर हो चुके होते हैं
चेहरे के मोह के पाश से और
अपने अक्स के टूटने से तब आपको बिल्कुल भी दर्द नहीं होता
क्योंकि आप जानते हैं
यह बिखरना आपको अपने आप से
जोड़े रखने के काम आया है और
अब आप खुद को मांजना सीख गए हैं

चालीस की उम्र के बाद
आपको लगता है
आपकी नज़र में
एक नज़रिया शामिल हो चुका है और
अब आप दुनिया को
पहले से बेहतर देख सकते हैं ।