जूते-चप्पल हमें कहीं नहीं ले जाते हमें हमारी मंज़िल तक ले जाते हैं हमारे हाथ-पैर मैं नहीं चाहता हूँ राम की चरण-पादुका-सा पूजा जाना मैं बलराम के हल-सा खेत की छाती में उतर जाना चाहता हूँ