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चाहे सुनो शास्त्रीय संगीत / हेमन्त शेष

चाहे सुनो शास्त्रीय संगीत
या करो शोक
वह आत्मा ही सब चीज़ों में नहीं
जो धड़कती थी पवित्रता में
और
ज़िन्दगी को जीने लायक बना सकती