Last modified on 30 दिसम्बर 2017, at 17:13

चाह / पंकज सुबीर

मैं वहाँ नहीं ठिठकूँ
जहाँ लिखा हो पड़ाव
वहाँ भी नहीं ठहरूँ
जहाँ लिखा हो मंज़िल
मैं चलता ही रहूँ
बस चलता ही रहूँ
समय चक्र चलता रहे
मैं गतिमान रहूँ
ठहरने के मायने होते हैं
संतुष्टी
और संतुष्टी का अर्थ होता है
समाप्त हो जाना
मंज़िल पर जाकर ठहरने का अर्थ होगा
जीवन का समापन
और फिर रह जाएगी प्रतीक्षा
केवल अंत की
इसीलिए मैं समय को
प्रतीक्षा में नहीं खोना चाहता
मैं चाहता हूँ कि
केवल अंत ही
मेरी गति को थामे
मंज़िलों का भ्रम
और पड़ावों का आकर्षण
मुझे बाँध न पाए
जब समय नहीं रुकता
तो मैं क्यों रुकूँ
जब तक साँस न रुके
मैं चलता ही रहूँ, चलता ही रहूँ
चलता ही रहूँ