सिसकारा मारता है
जमींदार,
सस्ता बिका धान
कम ही बढ़ा
बैंक बैलेंस।
पर खुश है
दिन-रात खेत में
खटने वाला मजदूर,
यह जानते हुए भी
कि इस साल भी
जमींदार की बही में
कुछ कर्ज
और दर्ज
हो गया है
उसके नाम।
1991
सिसकारा मारता है
जमींदार,
सस्ता बिका धान
कम ही बढ़ा
बैंक बैलेंस।
पर खुश है
दिन-रात खेत में
खटने वाला मजदूर,
यह जानते हुए भी
कि इस साल भी
जमींदार की बही में
कुछ कर्ज
और दर्ज
हो गया है
उसके नाम।
1991