तुम्हारी कविता में सिर्फ़ एक बुलबुल है
मेरी कविता के आँगन में कई पेड़ हैं
जिनमें सैंकड़ों चिड़ियाँ
दूर—दराज से आकर
अपने घौंसले बनाती हैं
चोंच—दर—चोंच
अनुभव का चोगा
मेरी कविताओं को खिलाती हैं.
तुम्हारी कविता में सिर्फ़ एक बुलबुल है
मेरी कविता के आँगन में कई पेड़ हैं
जिनमें सैंकड़ों चिड़ियाँ
दूर—दराज से आकर
अपने घौंसले बनाती हैं
चोंच—दर—चोंच
अनुभव का चोगा
मेरी कविताओं को खिलाती हैं.